Tuesday, October 8, 2013

SUCCESS

सफलता 


सफलता  के  मायने  हर किसी के  लिए अलग-अलग होते हैं और इसका सीधा सम्बन्ध संतुष्टि से है। क्योंकि कुछ स्टूडेंट एग्जाम में ९५% अंक लाने के बाद भी संतुष्ट नहीं होते ,वही कुछ स्टूडेंट ४५% अंक आने पर खुद को सफल मानते है। कोई व्यक्ति अच्छी कंपनी में अच्छी जॉब पा कर भी खुश नहीं रह पाता, वही कोई छोटी सी नौकरी से ही अत्यंत खुश रहता है। कोई करोडो रूपये रहने के बाद भी परेशान रहता है, तो कोई हजारों रूपये में ही गृहस्ती अच्छे से चला रहा है। अतः सबके लिए सफलता के मायने अलग अलग है, बस व्यक्ति की सोच होती है की मैं सफल हो गया! या मैं असफल हो गया! कहा गया है "कर्म करो, फल की चिंता मत करो" और "सकल पदारथ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत नाही " तात्पर्य यह है की हमारा फोकस हमारा ध्यान हमारे काम में होना चहिये, ना की उसके परिणाम में।
      SUCCESS         
   INDRAJEET SINGH KURRAM
20" X 15"
POSTER COLOUR ON PAPER
2002  
और इस संसार में हर प्रकार के सुख और साधन मौजुद है, बस उसे प्राप्त करने के लिए कर्म करना आवश्यक है। सफलता सिर्फ एक पड़ाव है, आगे फिर से संघर्ष का चढ़ाव है। अतः यदि हम किसी एक काम में सफल हो जाते हैं तो वही ठहर नहीं जाते,  बल्कि एक नए काम को तलाशते है। स्कूल, स्कूल के बाद कॉलेज, कॉलेज के बाद नौकरी, नौकरी में प्रमोशन, सुन्दर परिवार, अच्छा लिविंग स्टेंडर्ड, गाडी - बंगला, सुख - सुविधा के साधन ये सब सामान्यतः लोगों के उद्देश्य रहते ही है। इन सब से ऊपर भी कुछ लोगों की सोच होती हैं जो जन -सेवा करते है, देश -सेवा करते हैं। अब जिनके पास जितनी बड़ी सोच होगी और उस सोच को पूरा करने का जितना साहस और सामर्थ्य होगा वह उतना ही ऊपर सफलता की सीढ़ी चढ़ता जायेगा। लेकिन सफलता का रहस्य ख़ुशी में है , आनंद में है,उत्साह में है और वह भी खुद के बटोरने में नहीं बल्कि बाँटने में है। 
                                                                                   इन्द्रजीत सिंह कुर्राम 

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